Manna Dey — Pyar Hua Iqrar Hua
प्यार हुआ इक़रार हुआ है
प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
प्यार हुआ इक़रार हुआ है
प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
केहता है दिल रस्ता मुश्किल
मालूम नहीं है कहाँ मंज़िल
केहता है दिल रस्ता मुश्किल
मालूम नहीं है कहाँ मंज़िल
प्यार हुआ इक़रार हुआ है
प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
केहता है दिल रस्ता मुश्किल
मालूम नहीं है कहाँ मंज़िल
प्यार हुआ इक़रार हुआ है
प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
कहो की अपनी प्रीत का मीत ना बदलेगा कभी
तुम भी कहो इस राह का मीत न बदलेगा कभी
प्यार जो टूटा
साथ जो छूटा
चाँद न चमकेगा कभी
हा हा हा...
प्यार हुआ इक़रार हुआ है
प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
केहता है दिल रस्ता मुश्किल
मालूम नहीं है कहाँ मंज़िल
प्यार हुआ इक़रार हुआ है
प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ
प्रीत हमारे प्यार के दोहराएंगी जवानियाँ
मैं न रहूँगी
तुम न रहोगे
फिर भी रहेंगी निशानियाँ
प्यार हुआ इक़रार हुआ है
प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
केहता है दिल रस्ता मुश्किल
मालूम नहीं है कहाँ मंज़िल
केहता है दिल रस्ता मुश्किल
मालूम नहीं है कहाँ मंज़िल
प्यार हुआ इक़रार हुआ है
प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
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