Sonu Nigam — Vande Mataram

हर क़दम वतन मेरे नाज़ है तेरा हर क़दम वतन मेरे नाज़ है तेरा आज़ाद मैं हूँ और वतन आज़ाद है मेरा आज़ाद मैं हूँ और वतन आज़ाद है मेरा हर क़दम वतन मेरे... वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् हवाएं कह रहीं, अपनों की दास्तां ऐसे ना मिला, हमको ये गुलसिताँ हवाएं कह रहीं... सरहदों पे कितने ही शहीदों के लहू बहे सरहदों पे कितने ही शहीदों के लहू बहे उनकी ये कुर्बानियां याद हमे भी रहे उनकी ये कुर्बानियां याद हमे भी रहे उनके जैसे उड़ने का अंदाज़ है ज़रा आज़ाद मैं हूँ और वतन आज़ाद है मेरा आज़ाद मैं हूँ और वतन आज़ाद है मेरा वन्दे मातरम्... सरफरोशी को चले हैं बाँध के कफ़न दुश्मनों को करने उनकी मिट्टी में दफ़न अब जो हमारी तरफ बढ़े कोई कदम इतिहास से मिटा देंगे बुनियाद उनकी हम मर के भी मिटने ना दे मर के भी मिटने ना दे तिरंगे की ये शान हिदुस्तां तेरे लिए दे देंगे अपनी जान वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् सुजलाम सुफलाम मातरम् वन्दे मातरम् मलयज शीतलाम मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्


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